सक्ति जिले में मसीही समाज की युवती ने हिंदू युवक से की शादी,आर्य समाज में दोनों का हिंदू रीति रिवाज से हुआ विवाह…

सक्ति जिले में मसीही समाज की युवती ने हिंदू युवक से की शादी,आर्य समाज में दोनों का हिंदू रीति रिवाज से हुआ विवाह…
सक्ति जिले में दो अलग अलग धर्म के युवक-युवती ने आर्य समाज में जाकर हिंदू धर्म के रीति रिवाज के साथ विवाह किया है। जिसमें युवती स्नेहा मसीह मसीही समाज से आती है वही युवक सेवकराम चन्द्रा जोकि चंद्रा समाज से है दोनो ने हिंदू रिवाज से विवाह की है। सामाजिक कार्यकर्ता और धर्म जागरण मंच की अंजू गबेल ने पहल करते हुए जैजैपुर निवासी स्नेहा मसीह पिता दिनेश मसीह की शादी ग्राम नंदेली निवासी सेवकराम चंद्रा पिता फरीद कुमार चंद्रा का विवाह बुधवार दो जनवरी को आर्य समाज सक्ती में कराया। इस दौरान उन्होंने दोनों को आशीर्वाद देते हुए उपहार भी दिए। दरअसल जैजैपुर निवासी स्नेहा मसीह और नंदेली निवासी सेवकराम चंद्रा दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे और शादी कर ली थी। मगर इसे चंद्रा समाज के लोग स्वीकार नहीं कर रहे थे। इतना ही नहीं सेवक राम के परिवार को समाज से बाहर कर दिए थे। समाज के लोगों का कहना था कि जब तक हिंदू रीति रिवाज से शादी नहीं हो जाती है तब तक वे समाज में शामिल नहीं कर सकते हैं। इसे लेकर सेवक राम चंद्रा का परिवार काफी परेशान था। इसी बीच सर्व सनातन हिंदू समाज और धर्म जागरण मंच, धर्म सेना के 29 दिसंबर को सक्ती में आयोजित सर्व सनातन हिंदू पंचायत हिंदू सम्मेलन के दौरान मंच की पदाधिकारियों से संपर्क किए जिसके बाद अंजू गबेल के द्वारा आर्य समाज सक्ती में दोनों की हिंदू रीति रिवाज से शादी कराई गई। इस दौरान उन्होंने स्नेहा का कन्यादान भी किया।
बिना किसी दबाव के अपना रही हिंदू धर्म
इस दौरान स्नेहा ने कहा कि वह सेवकराम चंद्रा से अपनी स्वेच्छा से बिना किसी के दबाव के विवाह कर हिंदू धर्म अपना रही है। अंजू गबेल ने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा उनका उदेश्य है इसके लिए वह सतत प्रयत्न करती रहेंगी।
600 हिंदू परिवारों की कराई घर वापसी
धर्म जागरण मंच की पदाधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता अंजू गबेल के नेतृत्व में सक्ती के नंदेलीभाठा में 29 दिसंबर को हिंदू सम्मेलन का आयोजन किया गया था जिसमें ईसाई धर्म अपना चुके 600 हिंदू परिवारों का घर वापसी कराया गया था। कार्यक्रम में प्रबल प्रताप सिंह जूदेव के द्वारा धर्म परिवर्तन करने वाले परिवार के सदस्यों का पैर धोकर हिंदू धर्म में वापसी कराया गया।