जैजैपुर सहित सक्ती जिले में आदिमजाति कल्याण विभाग ( आदिवासी विकास विभाग) के अंतर्गत छात्रावासों और आश्रमों में दैनिक वेतन भोगी मजदूरों की बड़ी संख्या में हुए नियम विरुद्ध फर्जी भर्ती में तत्काळीन अधीक्षकों की भी उतनी ही संलिप्तता रही है जितना कि तत्काळीन मंडल निरीक्षकों का भी लेकिन कार्यवाही ना तो किसी अधीक्षक पर हुई और ना ही किसी मंडल निरीक्षक पर , यही नहीं विभाग के आला अधिकारियों और जिले में बैठे जिम्मेदारों ने गैरजिम्मेदारी की मिसाल कायम करते हुए फर्जी भर्ती में संलिप्त रहे तत्काळीन मंडल निरीक्षक वीरेंद्र पाटले को सजा के तौर पर ईनाम दे दिया है जी हां यह कोई मजाक नहीं बल्कि एक आश्चर्यजनक सत्य है ।
पैसे दो नौकरी लो की तर्ज पर हुई भर्ती।
गौरतलब है कि,जैजैपुर विकासखंड के कचंदा, हसौद , नगारीडीह, दतौद , ठठारी , कुटराबोड़, अकलसरा, सलनी और चिस्दा में अनेकों दैनिक वेतनभोगी मजदूरों की सन 2021 से 2024 तक बिना कोई नियम-शर्तों और बिना कोई निविदा अथवा अधिकारिक अधिसूचना प्रकाशित कराये भर्ती पैसे दो नौकरी लो की तर्ज पर करा दी गई , पता चला है कि प्रत्येक मजदूरों से पक्की नौकरी का सब्जबाग दिखा कर औसतन चार लाख रुपये भी लिए गये और बेचारे बेरोजगार मजदूरों ने नौकरी की चाह में कहीं से भी जुगाड़ करके पैसे भी दे दिये और बिना वेतन के नौकरी भी कर रहे हैँ सिर्फ इस चाह में कि एक ना एक दिन उनकी नौकरी पक्की हो जायेगी और यही कारण है कि कोई भी प्रत्यक्ष रूप से सामने भी नहीं आ पा रहे हैँ ।
गौरतलब है कि इसी दौरान अधीक्षक और मंडल निरीक्षक रहे वीरेंद्र पाटले बंशी लाल टंडन और संदीप खांडेकर ने अपने विभाग के आधिकारियों से मिलीभगत कर कई लाखों का वारा – न्यारा कर बंदरबांट किया और दर्जनों बेरोजगार युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया लेकिन विभागीय अधिकारियों के संलिप्तता से मामला यूँ ही चलता रहा लेकिन जब क्षेत्रीय पत्रकार अनिल चंद्रा ने RTI के माध्यम से इस मामले को उजागर करना शुरु किया कुछेक मजदूरों को बिना कोई वेतन दिये बहार का रास्ता दिखा दिया गया ,लेकिन इस मामले में जिन पर कार्यवाही करना बनता था उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है साथ ही अब मंडल निरीक्षक जैसे पद से पुरस्कृत भी किया ज रहा है जो कि जिले के अधिकारियों के कार्यप्रणाली पर संदेह उत्पन्न करता है ।
उक्त मामले की हो रही उच्च स्तरीय शिकायत ,संलिप्त लोग पत्रकार पर बना रहे दबाव ।
चैनल इंडिया के पत्रकार ने जब से यह मामला उठाया है तभी से उन पर फोन व अन्य माध्यम से दबाव बनाया जा रहा है कोई कह रहा है कि संलिप्त लोगों के साथ बड़े बड़े नेता हैं तो कोई कह रहा है कि जिले के अधिकारी उनके साथ है आओ कोई कह रहा है कि जिनके खिलाफ छाप रहे हो उनके साथ आपराधिक प्रवृति के दबंग लोग रहते हैँ ,साथ ही खर्चापानी लेकर मामला रफा दफा करने की बात भी कही जा रही है जिससे मामले की गंभीरता को समझा जा सकता है ।