जांजगीर-चांपा में प्रशासन की पहल से नाबालिग लड़की का बाल विवाह रोक
छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में प्रशासन और पुलिस की त्वरित कार्रवाई से एक नाबालिग लड़की का बाल विवाह होने से रोक दिया गया। जिला कलेक्टर आकाश छिकारा के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम ने पुलिस के साथ मिलकर ग्राम लटिया (अकलतरा) में पहुंचकर यह कार्रवाई की।
बाल विवाह की सूचना मिलते ही जिला बाल संरक्षण अधिकारी गजेंद्र सिंह जायसवाल के नेतृत्व में पुलिस विभाग से समन्वय कर टीम ग्राम लटिया पहुंची। जांच में पता चला कि बालिका की उम्र 17 वर्ष 01 माह थी, जोकि विवाह के लिए कानूनी रूप से निर्धारित उम्र से कम थी।
बालिका के माता-पिता का कई वर्षों पहले देहांत हो चुका था और उसकी परवरिश नाना-नानी कर रहे थे। उन्हीं के द्वारा विवाह तय किया गया था। टीम ने बालिका और उसके परिजनों को बाल विवाह के दुष्परिणामों की जानकारी दी और समझाइश दी।
गजेंद्र सिंह जायसवाल, जिला बाल संरक्षण अधिकारी:-
हमारी टीम ने मौके पर पहुंचकर बालिका के दस्तावेजों की जांच की और पाया कि वह नाबालिग है। कानून के तहत बाल विवाह अपराध है, इसलिए हमने परिवार को समझाया और उन्होंने विवाह रोकने की सहमति दी।
परिजनों की सहमति के बाद विवाह को रोका गया और गवाहों की उपस्थिति में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर कराए गए। इस दौरान जिला बाल संरक्षण इकाई, चाइल्ड हेल्पलाइन टीम, एकीकृत बाल विकास परियोजना और अकलतरा थाना पुलिस की टीम मौजूद रही।
गौरतलब है कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत विवाह के लिए लड़की की उम्र 18 वर्ष और लड़के की उम्र 21 वर्ष निर्धारित है। इससे कम उम्र में विवाह होने पर माता-पिता, रिश्तेदार, विवाह कराने वाले पंडित सहित सभी जिम्मेदार व्यक्तियों पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। इस अपराध में 2 साल तक का कठोर कारावास और 1 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।