मनरेगा पशु शेड योजना से कैसे बदली जिंदगी,आया में बड़ा बदलाव लाखो रुपए का मालिक इसके लिए इस तरह से करना होगा आवेदन…
छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम पंचायत सोनबरसा में रहने वाले अक्तीराम के लिए जीवन संघर्षों से भरा था। वे खेती और पशुपालन के माध्यम से अपनी आजीविका चलाते थे, लेकिन पशुओं के लिए एक सुरक्षित आश्रय की कमी थी। बारिश, ठंड और गर्मी में उनके पशु असुरक्षित रहते थे, जिससे दूध उत्पादन पर असर पड़ता और अतिरिक्त इलाज का खर्च बढ़ जाता।
कैसे मिली मनरेगा से मदद?:- एक दिन गांव में रोजगार दिवस के दौरान मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत पशु शेड योजना के बारे में जानकारी मिली। उन्होंने ग्राम पंचायत में आवेदन किया और जल्द ही 77,700 रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति मिल गई।
पक्का पशु शेड बनने से हुआ बड़ा फायदा:- जैसे-जैसे पक्का शेड तैयार होता गया, अक्तीराम की उम्मीदें भी मजबूत होती गईं। अब उनके पशु सुरक्षित रहने लगे, जिससे उनका स्वास्थ्य बेहतर हुआ और दूध उत्पादन में वृद्धि हुई। अतिरिक्त आय से उन्होंने बच्चों की पढ़ाई और खेती में भी सुधार किया।
मनरेगा पशु शेड योजना के लाभ:- पशुओं को सुरक्षित आश्रय मिला, दूध उत्पादन में बढ़ोतरी,खर्च में कमी और आय में इजाफा, गोबर से जैविक खाद बनने से खेती में सुधार, किसानों की आत्मनिर्भरता बढ़ी
मनरेगा पशु शेड योजना::- ग्रामीण किसानों के लिए वरदान अक्तीराम का कहना है कि मनरेगा योजना ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं। इस योजना के तहत गरीब और लघु सीमांत किसानों को वित्तीय सहायता दी जाती है ताकि वे पशुओं के लिए सुरक्षित आश्रय (पशु शेड) बना सकें। पशुपालन से मिलने वाला गोबर जैविक खाद के रूप में खेतों की उर्वरता बढ़ा रहा है।
कैसे करें आवेदन?अपने ग्राम पंचायत में संपर्क करें,रोजगार दिवस के दौरान जानकारी लें,आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन जमा करें, स्वीकृति मिलने के बाद निर्माण शुरू करें
मनरेगा पशु शेड योजना ने अक्तीराम जैसे कई किसानों की जिंदगी बदल दी है। यह योजना सिर्फ एक शेड निर्माण तक सीमित नहीं बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने और आत्मनिर्भरता बढ़ाने में मददगार साबित हो रही है। यदि आप भी कृषक हैं और पशुपालन करते हैं, तो इस योजना का लाभ उठाकर अपने भविष्य को सुरक्षित बनाएं।