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खेलकूद

चैंपियंस ट्रॉफी की टीम चुनने में सेलेक्टर्स को आएगा पसीना, बैटर्स दमदार, पर पेसर बढ़ा रहे सिररर्द

 

नई दिल्ली. ऑस्ट्रेलिया में शिकस्त झेलने वाली भारतीय टीम का एक और चैलेंज इंतजार कर रहा है. भारत को अब 22 जनवरी से इंग्लैंड के साथ द्विपक्षीय सीरीज खेलनी है. यह ऐसी सीरीज नहीं, जिसके लिए टीम इंडिया या सेलेक्टर्स को माथापच्ची करनी पड़े. लेकिन 19 फरवरी से होने वाली आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी सेलेक्टर्स का सिरदर्द बढ़ा सकती है. चैंपियंस ट्रॉफी के लिए टीम का ऐलान 12 जनवरी तक करना है.

भारतीय चयनकर्ता जब चैंपियंस ट्रॉफी के लिए टीम का चयन करेंगे तो उन्हें सबसे ज्यादा मशक्कत तेज गेंदबाजों पर करनी पड़ सकती है. बैटर्स को चुनने के लिए शायद ऐसा ना करना पड़े. वजह- भारत के पास बैटर्स और ऑलराउंडर्स के कई अच्छे विकल्प हैं. स्पिन ऑलराउंडर में रवींद्र जडेजा, वॉशिंगटन सुंदर, अक्षर पटेल हैं. पेस ऑलराउंडर्स के लिए हार्दिक पंड्या, नीतीश रेड्डी और शिवम दुबे हैं.

रोहित शर्मा और विराट कोहली भले ही आउट ऑफ फॉर्म हों, लेकिन उनका चयन तय लगता है. रोहित और शुभमन गिल टीम की ओपनिंग करते दिख सकते हैं. तीसरे नंबर पर विराट कोहली और चौथे नंबर पर ऋषभ पंत का सेलेक्शन भी तय समझिए. पांचवें नंबर के लिए टीम के पास केएल राहुल, श्रेयस अय्यर का विकल्प खुला है. छठे से 11वें नंबर तक ऑलराउंडर और गेंदबाज नजर आएंगे. ऑलराउंडर के लिए भारत के पास कई नाम हैं. स्पिनर की भूमिका रवींद्र जडेजा, वॉशिंगटन सुंदर, अक्षर पटेल, कुलदीप यादव में से कोई तीन निभाएंगे. अभी यह तय नहीं कि पेस अटैक किसके हाथों में होगा.

अगर सभी पेसर फिट रहते हैं तो भारत जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी और अर्शदीप सिंह के साथ जाना चाहेगा. बुमराह की चोट पर अभी कोई अपडेट नहीं है. अभी इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता कि वे कब तक मैच खेलने के लिए फिट हो जाएंगे. मोहम्मद शमी घरेलू क्रिकेट खेल रहे हैं. लेकिन उन्हें ऑस्ट्रेलिया ना भेजा जाना इस बात का सबूत है कि उनकी फिटनेस पर भी संदेह बाकी है.

अगर बुमराह और शमी की फिटनेस पर सवाल उठे तो भारत का पेस अटैक कमजोर पड़ सकता है. इन दोनों के ना होने पर भारत के पेस अटैक की अगुवाई अर्शदीप सिंह और मोहम्मद सिराज कर सकते हैं. तीसरे गेंदबाज के लिए हर्षित राणा, प्रसिद्ध कृष्णा, मुकेश कुमार, खलील अहमद में से किसी का चयन होगा. यह ऐसा पेस अटैक है, जिसमें अनुभव की कमी झलकती है. अब देखना है कि भारतीय चयनकर्ता टीम को इस मुश्किल से कैसे बाहर निकालते हैं.

 

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