IND vs AUS: निगेटिव अप्रोच… प्लेइंग XI से शॉट सेलेक्शन तक नहीं था भरोसा, भारत की हार के 5 कारण
नई दिल्ली. ऑस्ट्रेलिया दौरे पर इस बार ऐसा क्या हुआ कि भारतीय टीम 5 में से 3 टेस्ट मैच हार गई. जिस टीम इंडिया का पिछले 10 साल से बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पर कब्जा था, वह कहां चूक कर गई. हार के वैसे तो हजार बहाने होते हैं, लेकिन इसे हम दो शब्दों में भी बयां सकते हैं. निगेटिव अप्रोच… जी हां, टीम इंडिया की हार की सबसे बड़ी वजह यही रही. और यह बात हम नहीं कह रहे. यह सार तो सुनील गावस्कर, संजय मांजरेकर, संजय बांगड़ और इरफान पठान जैसे दिग्गजों की बातों का है.
भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज पर्थ से शुरू हुई और सिडनी में खत्म हुई. भारत ने सीरीज का पहला मैच जीता, लेकिन फिर गाड़ी पटरी से उतर गई. ऑस्ट्रेलिया ने दूसरा टेस्ट जीतकर सीरीज बराबर की. इसके बाद तीसरा टेस्ट मैच भी ड्रॉ रहा. तीन मैच तक 1-1 से बराबर रहने वाली सीरीज आखिरकार ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में 3-1 से खत्म हुई. मेजबान ऑस्ट्रेलिया ने सीरीज का चौथा और पांचवां मैच जीतकर ना सिर्फ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पर कब्जा किया, बल्कि डब्ल्यूटीसी फाइनल का टिकट भी पक्का कर लिया.
1. किस बात की जल्दबाजी थी…
बात सबसे पहले सिडनी टेस्ट की, जिसमें भारत जीत के करीब आकर भी हार गया. भारत ने इस पांचवें टेस्ट मैच में पहली पारी में 4 रन की बढ़त ली. इसके बाद जब भारत बैटिंग करने उतरा तो हर बैटर जल्दबाजी में था. मैच में तीन दिन बाकी था, लेकिन टीम इंडिया जैसे तय करके उतरी थी कि उसे 50 ओवर से ज्यादा खेलना ही नहीं है. नतीजा टीम 39.5 ओवर में ही 157 रन बनाकर सिमट गई. टीम इंडिया की अप्रोच पर सुनील गावस्कर ने कहा कि रन बनाने की जल्दबाजी क्या है. लगता है भारतीय बैटर्स को यह भरोसा नहीं है कि वे पिच पर टिक सकते हैं. इसीलिए वे तेजी से रन जोड़ना चाहते हैं, लेकिन यह निगेटिव अप्रोच है. आपको रन बनाने ही हैं तो अपना स्वाभाविक खेल खेलिए.
2. बॉलिंग पर फोकस कम था…
भारत सिर्फ सिडनी टेस्ट ही नहीं, पूरी सीरीज में निगेटिव अप्रोच के साथ खेला. पूर्व क्रिकेटर संजय बांगड़ कहते हैं कि भारतीय टीम का पूरी सीरीज में फोकस बैटिंग की गहराई पर था. आठवें नंबर के खिलाड़ी का सेलेक्शन यह सोचकर किया गया कि वह अच्छी बैटिंग करता है या नहीं. इस बात पर ध्यान कम था कि वह विकेट ले सकता है या नहीं.
3. सुंदर ने सिडनी में एक ओवर गेंदबाजी की
तेज गेंदबाजों की मददगार वाली पिच होने के बावजूद सिडनी टेस्ट में भारत 3 स्पेशलिस्ट बॉलर और 3 ऑलराउंडर्स के साथ उतरा. इनमें दो स्पिन ऑलराउंडर (जडेजा और सुंदर) थे. यह कॉम्बिनेशन किसी टेस्ट टीम की प्लेइंग इलेवन से ज्यादा टी20 मैच की लगती है. टीम के तीसरे ऑलराउंडर वॉशिंगटन सुंदर ने तो इस मैच में तब एक ओवर गेंदबाजी की, जब हार तय हो चुकी थी. जसप्रीत बुमराह चोट के चलते मैच बीच में ही छोड़ चुके थे. इसके बावजूद सुंदर की गेंदबाजी की जरूरत ना पड़ना साबित कर गया कि उनका प्लेइंग इलेवन में सेलेक्शन गलत था.
4. चौथे तेज गेंदबाजी की कमी खली
संजय मांजरेकर ने कॉमेंट्री के दौरान कई बार कहा कि अगर भारत सिडनी में चार स्पेशलिस्ट तेज गेंदबाजों के साथ उतरता तो बेहतर होता. संजय मांजरेकर ने कहा कि सिडनी में दो स्पिनरों के साथ उतरना बहुत बड़ी गलती थी. पहले दिन से साफ था कि पिच कैसी है. इस पिच पर चार तेज गेंदबाजों साथ उतरना चाहिए था.
5. तीसरे गेंदबाज ने बदल दी पूरी सीरीज
इरफान पठान ने कहा कि इस सीरीज में अगर किसी एक चीज ने सबसे बड़ा अंतर पैदा किया तो वह तीसरा तेज गेंदबाज था. ऑस्ट्रेलिया के लिए पहले चेंज में आने वाले गेंदबाज ने करीब 18 की औसत से विकेट लिए. भारत के लिए पहले चेंज पर आने वाले तीसरे गेंदबाज के विकेटों का औसत तकरीबन 36 था.