अगर राहुल गांधी ने नहीं दिया एफिडेविट तो क्या कार्रवाई कर सकता है चुनाव आयोग, जानें उसकी शक्तियां
कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हाल ही में चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने दावा किया कि बिहार, महाराष्ट्र, हरियाणा और कर्नाटक में मतदाता सूची में हेरफेर और वोट चोरी हुई है. इन आरोपों के जवाब में चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को सात दिनों के भीतर अपने दावों के समर्थन में हस्ताक्षरित शपथ पत्र (एफिडेविट) जमा करने या सार्वजनिक माफी मांगने की मांग की है. लेकिन सवाल यह है कि अगर राहुल गांधी एफिडेविट जमा नहीं करते, तो चुनाव आयोग क्या कार्रवाई कर सकता है? आइए, जानते हैं आयोग की शक्तियों और उनकी सीमाओं के बारे में.
चुनाव आयोग क्या कार्रवाई कर सकता है
भारत का चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है जिसे संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने का अधिकार प्राप्त है. यह मतदाता सूची तैयार करने, चुनाव प्रक्रिया की निगरानी करने और नियमों का पालन सुनिश्चित करने का कार्य करता है. लेकिन जब कोई नेता बिना सबूत के गंभीर आरोप लगाता है, तो आयोग के पास क्या विकल्प हैं?
नोटिस जारी करना
सबसे पहले, चुनाव आयोग राहुल गांधी को औपचारिक नोटिस जारी कर सकता है जैसा कि उसने पहले किया है. आयोग ने अपने बयान में कहा कि राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ जैसे आरोप बिना सबूत के हैं और ये लोकतंत्र की विश्वसनीयता को कमजोर करते हैं. अगर राहुल गांधी एफिडेविट जमा नहीं करते, तो आयोग उनके बयानों को ‘निराधार’ करार दे सकता है.
कानूनी कार्रवाई की सिफारिश
दूसरा, अगर मामला गंभीर हो, तो आयोग कानूनी कार्रवाई की सिफारिश कर सकता है. हालांकि, आयोग की शक्तियां सीमित हैं. यह किसी सांसद को उनकी सदस्यता से हटा नहीं सकता या सीधे दंडित नहीं कर सकता. अगर राहुल गांधी के बयान चुनावी प्रक्रिया की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं, तो मामला मानहानि या भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत अदालत में जा सकता है. लेकिन यह कार्रवाई आयोग के बजाय कानूनी प्रणाली के दायरे में होगी.




 
			 
                                
                              
		 
		